उस्ताद जाकिर हुसैन: गंभीर बीमारी के बाद तबला वादन के अनमोल सितारे का दिल दहला देने वाला अलविदा

दुनिया के सबसे बड़े तबला वादकों में से एक, उस्ताद जाकिर हुसैन अब हमारे बीच नहीं रहे। 16 दिसंबर, सोमवार को उनके परिवार ने उनके निधन की पुष्टि की। वे 73 साल के थे और लंबे समय से एक गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। उनके निधन की खबर ने संगीत की दुनिया में शोक की लहर दौड़ा दी।

उस्ताद जाकिर हुसैन को इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस नामक गंभीर बीमारी थी, जिसकी वजह से उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ रहा था। इस बीमारी का इलाज बेहद कठिन है और उस्ताद इस बीमारी के इलाज के लिए अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में भर्ती थे।

यह बहुत दुखद है कि एक ऐसा कलाकार, जिसने तबले की आवाज़ से पूरी दुनिया को मंत्रमुग्ध किया, अब हमारे बीच नहीं रहा। उनके जाने से संगीत की दुनिया का एक अहम हिस्सा हमेशा के लिए खो गया।

विवरणजानकारी
पूरा नामउस्ताद ज़ाकिर हुसैन
जन्म9 मार्च 1951, मुंबई, भारत
पिताउस्ताद अल्ला रक्खा खान (प्रसिद्ध तबला वादक)
प्रारंभिक शिक्षामुंबई में शिक्षा प्राप्त
संगीत में शुरुआत12 साल की उम्र में तबला वादन शुरू किया
पहला एलबम1973 में ‘लिविंग इन द मैटेरियल वर्ल्ड’
अंतरराष्ट्रीय पहचान1979 से 2007 तक विभिन्न अंतरराष्ट्रीय समारोहों और एलबमों में प्रदर्शन
पद्मश्री पुरस्कार1988 (संगीत के क्षेत्र में योगदान के लिए)
पद्मभूषण पुरस्कार2002 (संगीत के क्षेत्र में योगदान के लिए)
ग्रैमी अवार्ड1992 और 2009 (संगीत के क्षेत्र में योगदान के लिए)
पद्मविभूषण पुरस्कार22 मार्च 2023 (भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए)

जाकिर हुसैन और तबला: एक गहरी रिश्ते की कहानी

जाकिर हुसैन और तबला का रिश्ता दीपक और लौ जैसा था। तबला सिर्फ उनका पेशा नहीं, बल्कि उनकी पहचान, उनका जीवन था। यह जोड़ी सिर्फ एक कलाकार और उसके वाद्य यंत्र का सम्बन्ध नहीं, बल्कि एक गहरी आस्थायी और कलात्मक बंधन का प्रतीक थी। उस्ताद जाकिर हुसैन ने अपने पिता और प्रसिद्ध तबला वादक अल्लाह रक्खा खान से तबला बजाना सीखा था। वह 7 साल की उम्र से ही तबला वादन में दक्ष हो गए थे और महज 12 साल की उम्र में उन्होंने मंच पर अपनी कला का प्रदर्शन करना शुरू कर दिया था।

जाकिर हुसैन की करियर यात्रा

जाकिर हुसैन के जीवन का हर अध्याय एक प्रेरणा था। उनकी कला ने केवल भारतीय संगीत को ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में संगीत प्रेमियों का दिल जीत लिया। 11 साल की उम्र में जाकिर हुसैन को अमेरिका में अपना पहला कॉन्सर्ट करने का मौका मिला था, और तब से उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनकी तबला वादन की विशेष शैली ने उन्हें न केवल भारत, बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्धि दिलाई।

zakir hussain career awards

स्रोत:विकिपीडिया

पद्म पुरस्कार और अन्य सम्मान

उस्ताद जाकिर हुसैन को उनकी कला और संगीत में योगदान के लिए कई सम्मान प्राप्त हुए थे। उन्हें 1988 में पद्मश्री, 2002 में पद्मभूषण और 2023 में पद्मविभूषण जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले थे। 1990 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी संगीत पुरस्कार भी मिला था। इसके अलावा, 2009 में जाकिर हुसैन को 51 वें ग्रैमी अवार्ड से सम्मानित किया गया था, और वह सात बार ग्रैमी अवार्ड के लिए नामांकित भी हुए थे, जिनमें से चार बार उन्हें यह प्रतिष्ठित पुरस्कार मिला।

जाकिर हुसैन का निधन: एक दुखद घड़ी

जाकिर हुसैन की मृत्यु की खबर सुनकर उनके फैंस और संगीत जगत के लोग स्तब्ध हो गए। उनका निधन 73 साल की उम्र में हुआ, जब वह एक गंभीर फेफड़ों की बीमारी “इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस” (IPF) से जूझ रहे थे। इस बीमारी के कारण उन्हें सांस लेने में कठिनाई होती थी और उनके शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो गई थी, जो आखिरकार उनके दिल की समस्याओं को बढ़ावा दे गई।

इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस एक खतरनाक बीमारी है, जिसमें फेफड़ों में सूजन और निशान ऊतक बनने लगते हैं। इस स्थिति का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन इसे कुछ हद तक कंट्रोल किया जा सकता है।

क्या है इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस? लक्षण, रिस्क फैक्टर और उपचार

इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (IPF) एक गंभीर फेफड़ों की बीमारी है, जिसमें फेफड़ों के ऊतकों में सूजन और निशान (फाइब्रोसिस) बनने लगता है। यह बीमारी तबली में कम से कम ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता को प्रभावित करती है, जिसके कारण शरीर के अन्य अंगों तक ऑक्सीजन की आपूर्ति ठीक से नहीं हो पाती। इसके परिणामस्वरूप सांस लेने में परेशानी, थकान, खांसी और वजन घटने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इस बीमारी का नाम “इडियोपैथिक” इसलिए रखा गया है क्योंकि इसका कारण स्पष्ट नहीं होता और “पल्मोनरी फाइब्रोसिस” का मतलब फेफड़ों में फाइबर्स का जमा होना होता है।

इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस के लक्षण:

लक्षणविवरण
सांस लेने में तकलीफ (डायफेनिया)शुरुआती स्टेज में हल्की सांस की तकलीफ होती है, जो समय के साथ बढ़ सकती है।
खांसीलगातार सूखी खांसी जो इलाज के बावजूद ठीक नहीं होती।
थकान और कमजोरीसामान्य गतिविधियाँ करते समय अत्यधिक थकान महसूस होना।
सीने में दर्द या जकड़नफेफड़ों में सूजन के कारण यह महसूस हो सकता है।
वजन घटनाबिना किसी स्पष्ट कारण के वजन का घटना।
पैरों में सूजनयह स्थिति दिल या किडनी से जुड़ी समस्याओं का संकेत हो सकती है।

इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस के रिस्क फैक्टर:

रिस्क फैक्टरविवरण
उम्रयह बीमारी आमतौर पर 50 साल से ऊपर के व्यक्तियों में पाई जाती है।
जेंडरपुरुषों में महिलाओं के मुकाबले इसे होने का खतरा अधिक होता है।
धूम्रपानधूम्रपान करने वाले व्यक्तियों में IPF का जोखिम अधिक होता है।
विकसित देशों में रहनाविकसित देशों में रहने वालों को यह बीमारी अधिक होती है, हालांकि यह विकासशील देशों में भी हो सकती है।
जैविक तत्वकुछ लोग जिनके परिवार में इस बीमारी का इतिहास रहा हो, उन्हें अधिक खतरा हो सकता है।
पारिवारिक इतिहासअगर परिवार में किसी को फेफड़ों की बीमारी रही हो, तो इसके होने का खतरा अधिक होता है।

सोशल मीडिया पर शोक की लहर

जाकिर हुसैन के निधन के बाद सोशल मीडिया पर फैंस और सेलिब्रिटीज ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। उनके फैंस को उम्मीद थी कि यह खबर गलत हो, लेकिन सुबह जब इस दुखद समाचार की पुष्टि हुई, तो संगीत प्रेमियों और उनके चाहने वालों के दिल टूट गए।

समापन

उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन से भारतीय और विश्व संगीत जगत में एक अपूरणीय शून्य आ गया है। उनकी कला और संगीत हमेशा हमें प्रेरित करता रहेगा। उनके योगदान को शब्दों में नहीं बयां किया जा सकता। वह हमेशा तबला के अद्वितीय वादक के रूप में हमारे दिलों में जिंदा रहेंगे।

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Vinit
Vinit

अनुभवी ब्लॉगर और डेवलपर हैं, जो लेखन के प्रति अपने जुनून को तकनीकी ज्ञान के साथ जोड़ते हैं। अपने ब्लॉग के माध्यम से, वे तकनीकी जानकारी और विकास से जुड़ी नई बातें साझा करते हैं, जिससे पाठकों को हमेशा अपडेट रखा जाता है।

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